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गतिशील लोगों का भाग्य भी होता है गतिशील: राम नाईक

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  • डीएम डा. अनिल कुमार पाठक रचित काव्य संग्रह पारस-बेला का राज्यपाल (Ram Naik) ने किया विमोचन

फैजाबाद। हजारों वर्ष पूर्व लिखे गये ग्रंथ ऐतरेय ब्राहमण का चरैवेति-चरैवेति का तात्पर्य है जो सोये हैं उनका भाग्य भी सो रहा होता है, जो बैठे हैं उनका भाग्य भी बैठा रहता है, जो खड़े हैं उनका भाग्य भी खड़ा होता है, किन्तु जो गतिशील हैं उनका भाग्य भी गतिशील रहता है इसलिए चलते रहो।

The fate of dynamic people is also dynamic: Ram Naik
The fate of dynamic people is also dynamic: Ram Naik

यह उद्गार उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक (Ram Naik) ने व्यक्त किया। वह डा. राम मनोहर लोहिया अवध विवि के विवेकानन्द सभागार में आयोजित जिलाधिकारी कवि डा. अनिल कुमार पाठक रचित काव्य ग्रंथ पारस-बेला का विमोचन करने के समारोह को बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित कर रहे थे।

इस अवसर पर उन्होंने कहा कि पुस्तिका में अंकित कवितायें हमारे ग्रामीण आंचल का स्पर्श करते हुए हमे अपने माता-पिता व गुरूजन की महत्ता को बतलाती हैं।

उन्होनें कहा कि हमारे सबसे प्रचीनतम् ग्रन्थ ऋगवेद की रचना से अब तक हर साहित्य चाहे किसी भी भाषा में लिखा गया हो, में माता-पिता व गुरूजन को सबसे ऊंचा स्थान दिया गया है।

उन्होेने कहा कि हमारी भारतीय संस्कृति त्याग की शिक्षा देती है। यह धरती धन्य है अयोध्या से भगवान राम ने सत्ता का तनिक भी लोभ न करते हुये पिता के बिना कहे हुए उनके वचनो का मान रखने के लिये 14 वर्ष का वनवास स्वीकार किया।

वहीं भरत ने उनकी खड़ांऊ रखकर राज्य का संचालन करते हुये 14 वर्ष तपस्या की। इसी धरती से उत्पन्न श्रवण कुमार ने अपने माता-पिता की अनूठी भक्ति एवं सेवा की मिसाल पेश की है।

उन्होने कहा कि इसी भावना के धनी कवि डॉ. अनिल कुमार पाठक ने अपने माता-पिता को समर्पित काव्य रचना की है। जो हिन्दी युग की अद्वितीय रचना है।

यदि आज की पीढ़ी इससे शिक्षा एवं सन्देश लेकर अपने माता-पिता व गुरूजन को सेवा भक्ति अपर्ण करती है तो निश्चित रूप से सफल काव्य रचना होगी। उन्होनें आगे कहा कि माता-पिता के प्रति कृतज्ञ होने की अनुशंसा इस पारस-बेला के हर पन्ने पर बिखरी हुई है।

इससे आज की पीढ़ी को सन्देश जाता है कि अपना सर्वश न्योछावर करने वाले माता-पिता को कभी भूलना नहीं चाहिए।

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