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बस्ती की रुधौली सीट पर संजय जायसवाल का दबदबा, हैट्रिक लगाने की तैयारी

अगले साल 2022 में उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव होना है. इसको लेकर सियासी बिसात बिछने लगी है. जहां सत्ताधारी दल अपने विधायकों का रिपोर्ट कार्ड तैयार कर रहा है, तो विपक्षी दल सरकार को घेरने के लिए हर छोटे से बड़े स्थानीय मुद्दों को जुटा रहे हैं. जानिए क्या है बस्ती जिले की रुधौली विधानसभा सीट का सियासी समीकरण…

रामनगर से रुधौली तक

1972 में डुमरियागंज विधानसभा से अलग होकर रामनगर सीट बनी थी. 1974 में हुए चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार रामसमुझ तिवारी ने जनसंघ के जयद्रथ को हराकर पहला विधायक बनने का गौरव हासिल किया. 1975 में देश में लागू इमरजेंसी के बाद 1977 के आम चुनाव में जनता पार्टी के बाबूराम वर्मा ने कांग्रेसी उम्मीदवार जगदंबिका पाल को हराकर इस सीट पर अपना परचम लहराया. 1980 के चुनाव में परमात्मा ने इस सीट पर जीत हासिल की. वहीं 1989 में जनता दल से राम ललित चौधरी ने जीत दर्ज की. 1991 के मध्यावधि चुनाव में फिर राम ललित चौधरी ने इस सीट पर अपना कब्जा जमाया. 1993 में बाबूराम वर्मा ने समाजवादी पार्टी से अपनी जीत दर्ज की. 1996 में राम ललित चौधरी ने बसपा का दामन थामा और जीत हासिल की.

2007 में रामनगर नाम पर हुआ आखिरी चुनाव

2002 में सपा से अनूप पाण्डेय जी जीत दर्ज की. 2007 के विधानसभा चुनाव जो रामनगर के नाम से आखिरी चुनाव था. इस चुनाव में राजेंद्र प्रसाद चौधरी ने बसपा से फिर बाजी मारी. 2008 के परिसीमन में रामनगर का नाम बदलकर रुधौली विधानसभा कर दिया गया. 2012 के चुनाव में कांग्रेस के संजय प्रसाद जायसवाल ने जीत दर्ज की. वहीं 2017 के विधानसभा चुनाव में संजय ने भाजपा का दामन थामा और भारतीय जनता पार्टी से विधायक चुने गये.

जातीय समीकरण

रुधौली में जातीय आंकड़े को देखें तो दलित, ब्राह्मण, कुर्मी और मुस्लिम मतदाता की अहम भूमिका में होते हैं. 2017 विधानसभा चुनाव के आंकड़ों के मुताबिक यहां मतदाताओं की कुल संख्या 4 लाख 10 हजार 54 है. इनमें ब्राह्मण मतदाता 49,063, दलित मतदाता 17,302, मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 41,782 और कुर्मी मतदाता 46,846 हैं.

बस्ती का इतिहास

इतिहास के पन्नों में दर्ज तारीख बताती है की यूपी का बस्ती जनपद 1865 से अस्तित्व में है. देश की आजादी के बाद 1952 से यहां चुनाव हो रहे हैं. 2007 में यूपी की तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने बस्ती जिले का विभाजन कर तीन अलग-अलग हिस्सों में बांटा. जिससे संत कबीर नगर और सिद्धार्थनगर भी जिले के रूप में स्थापित हुए. पांच विधानसभाओं वाले बस्ती जिले में चुनावी मुद्दे और वादे बहुत हैं मगर लेकिन पहले (रामनगर) अब रुधौली विधानसभा में आज भी चुनाव मूलभूत सुविधाओं के मुद्दे पर हो रहे हैं. यहां आज भी चुनाव का मुद्दा बिजली-पानी-सड़क ही है.

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