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पौराणिक बावन-पुरी हरदोई जनपद का सांस्कृतिक आकर्षण

उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में स्थित बावन-पुरी एक पौराणिक स्थल है, जो अपनी जीवंत सांस्कृतिक विरासत से आगंतुकों को आकर्षित करता है। हरदोई जिला मुख्यालय से 10 किमी दूर बावन गांव में स्थित बावन-पुरी अपने पौराणिक इतिहास के लिए प्रसिद्ध है। बावन ग्राम का संबंध राजा बलि से है जो कि प्रह्लाद के पौत्र एवं राजा विरोचन के पुत्र थे।

राजा बली एक प्रतापी राजा थे एवं उन्होंने अश्वमेघ यज्ञ सहित 99 यज्ञ संपन्न किये। राजा बलि का यश चारों और फैलने लगा और उन्होंने इन्द्रलोक का राजा बनने का विचार किया। राजा बलि ने 100 वें यज्ञ का आयोजन रखा और इसके लिए निमंन्त्रण भेजे। राजा बलि घमंड में कहीं इन्द्र का राज न लेले ऐसा विचार कर भगवान विष्णु ने बावन अवतार धारण किया। भगवान विष्णु ने अपना शरीर 52 अंगुल के बराबर लंबा किया और राजा बलि की नगरी के समीप धूमी जमाई। राजा बलि ने यज्ञ आरम्भ किया और मंत्रियों को आदेश दिया कि नगरी के आस पास कोई भी मनुष्य यहाँ आने से वंचित न रहे।

मंत्रियों ने बावन रूपी भगवान विष्णु को यज्ञ हेतु आमंत्रित किया पर वह नहीं आए। तब राजा बलि ने ख़ुद जाकर बावन महाराज से निवेदन किया। बावन ने राजा से तीन कदम जमीन दान में माँगा। राजा बलि का वचन पाकर बावन रूपी भगवान विष्णु ने पूरी पृथ्वी को दो कदम में ही नाप लिया और पूछा कि तीसरा कदम कहाँ रखू, इस पर राजा बलि ने कहा कि यह तीसरा कदम मेरे सर पर रखें और याचना की कि वह उनके राज्य की रक्षा करेंगे। बावन रूपी भगवान विष्णु ने राजा बलि को पाताल जाने का आदेश दिया और वरदान के रूप में स्वयं वहां द्वारपाल बनना स्वीकार किया। राजा बलि से संबंधित यज्ञस्थल वर्तमान समय में बलाई ताल नाम से जाना जाता है।

बावन-पुरी अपने त्योहारों के भव्य समारोहों के लिए प्रसिद्ध है। वार्षिक राम नवमी मेला पड़ोसी क्षेत्रों से बड़ी संख्या में तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को आकर्षित करता है। धार्मिक जुलूसों, सांस्कृतिक प्रदर्शनों और स्थानीय पाक व्यंजनों से भरपूर इस त्योहार के दौरान जीवंत माहौल, सभी उपस्थित लोगों को एक अविस्मरणीय अनुभव प्रदान करता है। बावन-पुरी की सांस्कृतिक विरासत और पर्यटन क्षमता को बढ़ाने के लिए, स्थानीय अधिकारियों और सरकार ने बुनियादी ढांचे को बढ़ाने और आगंतुकों के लिए बेहतर सुविधाएं प्रदान करने की पहल की है। पारंपरिक वास्तुकला को संरक्षित करने, पर्यावरण-अनुकूल पर्यटन को बढ़ावा देने के प्रयास चल रहे हैं।

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