Tevar Times
Online Hindi News Portal

पेट्रोलियम की कीमत, जनता की जेब पर ‘डाका’

0
नरेश दीक्षित
संपादक (समर विचार)

मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो कहते थे कि आम जनता के हित में पेट्रोलियम की कीमतो को स्थिर रखा जाना चाहिए।
जब कांग्रेस ने मूल्य निर्धारण तंत्र को खत्म कर बाज़ार के हवाले कर दिया था तो मोदी ने इस नीति की जोर दार आलोचना की थी।
जब मोदी 2014 में केन्द्र की सत्ता में आए तो उस समय अन्तरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमत 100 डॉलर प्रति बैरल थी तब देश मे पेट्रोल की कीमत रूपए 65 के आसपास थी।
लेकिन मोदी के ही शासन काल में जब अन्तरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 50 डॉलर प्रति बैरल के आसपास रह गई फिर भी देश की जनता इसका कोई लाभ न देकर पेट्रोल से 75 रूपए प्रति लीटर और डीजल से 65 रूपए प्रति लीटर की वसूली जनता से क्यो की गई?
वष॔ 2014 में जब मोदी प्रधान मंत्री की कुर्सी पर विराजमान हुए थे तब पेट्रोल पर केन्द्रीय उत्पादन शुल्क 9,20 पैसे और डीजल पर 3,46 पैसे था।

किन्तु मोदी सरकार ने 4 वर्षो के दौरान पेट्रोल में उत्पादन शुल्क 22 रूपए और डीजल पर 17,4 रूपए से अधिक बढ़ा दिया टैक्स में भारी बढ़ोत्तरी के अलावा मोदी सरकार ने अपने प्रिय रिलायंस और एस्सार जैसे कार्पोरेट खिलाडियो को प्रति दिन के आधार पर पेट्रोलियम की कीमत तय करने का अधिकार दे दिया।
जबकि संप्रग शासन काल के दौरान रिलायंस व एस्सार पेट्रोल पंप सरकारी कंपनियो से प्रतिस्पर्धा न कर पाने के कारण बंदी की कगार पर पहुंच गई थी जिसमें रिलायंस के पंप तो बंद ही हो गए थे।
मोदी सरकार ने तेल मूल्य रोज निर्धारण निजी क्षेत्रो में देने के साथ ही डीलरो का कमीशन बढ़ा कर 70 प्रतिशत से ज्यादा कर दिया है।
पेट्रोलियम पदार्थो की आसमान छूती कीमतो पर भारी वृध्दि के पीछे जहां कार्पोरेट घराने मालामाल हो रहे है वही यह केन्द्र व राज्य सरकारो के लिए राजस्व प्राप्त का महत्वपूर्ण श्रोत है।
केन्द्र एवं राज्य सरकारो द्बारा पेट्रोल, डीजल पर जो टैक्स और शुल्क लगाया जाता है वह भारत में इसकी कीमत पर करीब 60% से अधिक है।
इन टैक्सो के कारण ही जनवरी 2014 की तुलना में आज जनता को पेट्रोल, डीजल की कीमत अधिक देनी पड़ रही है।
मोदी सरकार का एक और दौहरा चरित्र गौर करने लायक है। मोदी सरकार ने पेट्रोलियम पदार्थो पर जी एस टी से छूट दे रखी वह सिफ॔ पेट्रोलियम कार्पोरेट घरानों को खुश करने के लिए।
एक आकलन के अनुसार दुनियां के बाजार में कच्चे तेल की मौजूदा कीमत और देश में उसके परिशोधन पर आने वाली लागत पर अगर 12% की दर से जीएसटी लगाया जाता है तो पेट्रोल 38 रूपए प्रति लीटर की दर से मिल सकता है, अगर की 18% की दर से जी एस टी लगाया जाता है तो पेट्रोल की कीमत 40 रूपए प्रति लीटर होगी, और यदि 28% की दर से जीएसटी लगाया जाता है तो पेट्रोल की कीमत 44 रूपए होगी।
जबकि दुनियां में सबसे अधिक जीएसटी दर भारत में 28% मोदी सरकार ने लगा रखी है। कल सम्पन्न हुई केन्द्रीय कैबिनेट की बैठक में भी जनता को कुछ राहत देना तो दूर रहा उल्टे सरकार के प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद पेट्रोलियम मूल्य वृद्धि को जायज ठहराया है देश के विकास पर धन खर्च को जोड़ कर प्रचार कर रहे है क्या मोदी सरकार के पहले देश में विकास नही हो रहा था?
अब जनता के हित में मोदी सरकार तेल कंपनियो को कीमत तय करने की जो छूट दी गई है उसे वापस लिया जाए।
पेट्रोल और डीजल पर केन्द्र एवं राज्य सरकारो द्बारा लगाए गए अनेक प्रकार के टैक्सो को तत्काल खत्म किया जाए तभी देश की जनता को पेट्रोलियम पदार्थो की मूल्य वृद्धि पर राहत मिल सकेगी।

Leave A Reply

Your email address will not be published.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More