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बिजली के सरकारी उपकरणों की चोरी कर बेचने वाले गैंग का पर्दाफाश, चार गिरफ्तार

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने बिजली विभाग उत्तर प्रदेश की सरकारी खरीद के उपकरणों को विभागीय लोगों की मिलीभगत से चोरी कर बेचने वाले गैंग का पर्दाफाश करते हुए कानपुर के थाना पनकी इलाके से 04 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। इल लोगों की पहचान ब्रम्हदेव चौबे, राजकुमार शुक्ला, अशोक कुमार राजपूत और प्रेमबाबू गुप्ता निवासी गण रतनपुर पनकी, कानपुर नगर के रूप में हुई।
इन लोगों के पास से वजल कण्डक्टर 06 ड्रम, विजल कण्डक्टर 72 बण्डल, 3 एबीसी कंडक्ट, 10 ड्रम केबिल, 03ट्रांसफार्मर, 32वी क्रास आर्मस, 425 अर्थिंग रॉड , 65 टाप चैनल, 21 बण्डल आईजी वायर, 21 स्टे वायर, 850 70कर्व डिस्क, 550 इंसुलेटर, ड्रमएस0एल0पी0 केबिल, 09 ड्रम 25/16 केबिल समेत तमाम बिजली के सामान मिले।
यूपी एसटीएफ के एसएसपी अभिषेक सिंह ने बताया कि कुछ दिन पहले कानपुर से 25 रुपए के इनामीअभिषेक सिंह चौबे को गिरफ्तार किया था। उस दौरान पता चला था कि इनामी के पिता ब्रम्हदेव चौबे बिजली के विभिन्न प्रकार के केबिल तथा ट्रांसफार्मर अवैधरूप से प्राईवेट ठेकेदारों को बेचते हैं।
इस पर टीन ने उनके धंधे पर नजर रखनी शुरू की तो बिजली विभाग में विद्युतीकरण के लिए प्रयोग में लाये जाने वाले उपकरणों और सहवर्ती उपकरणों की जानकारी मिली। साथ ही विद्युतीकरण योजना के लिए व्यापक तौर से खरीदे गये उपकरणों में बड़े पैमान पर हेराफेरी करने की सूचनाओं भी मिली।

loots: STF busts gang involved in loots

इसकी पुष्टी होने पर आज टीम ने बिजली विभाग के उपरणों की चोरी करके खरीद फरोख्त करने वाले गैंग के 04 सदस्यों ब्रम्हदेव चौबे, राजकुमार शुक्ला, प्रेमबाबू गुप्ता एवं अशोक कुमार राजपूत को थाना पनकी एवं अन्य थाना क्षेत्रों से गिरफ्तार किया। जिनकी निशानदेही पर उनके गोदामों से बिजली का भारी माख में माल पकड़ा।
पूछताछ पर ब्रम्हदेव चौबे ने बताया कि उसका कई वर्षों पहले बिजली विभाग के गोदामों के जेई और स्टोर कीपरों से सम्पर्क हो गया था जिनके माध्यमों से वह बिजली विभाग के विद्युतीकरण के लिए उपलब्ध कराये गये उपकरणों को विभागीय लोगों की मिलीभगत से खरीद लेता है और उन्हें प्राईवेट ठेकेदारों को ऊंचे दामों पर बेच देता है।
उसने बताया कि चोरी का ऐसा सामान सबसे ज्यादा विकास प्राधिकरणों की स्कीमों को विकसित करने वाले ठेकेदार करते है क्योंकि उनमें बिजली विभाग काम नही करता। इसी प्रकार प्राईवेट बिल्डरों और कोलराईजर्स भी ऐसा चोरी का सामान खरीदते है क्योंकि वह उन्हें बाजार से काफी सस्ता पड़ता है।
यह पूछे जाने पर कि चोरी के सामान को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए ईवे बिल कैसे और कहाँ से बनवाता है। ब्रम्हदत्त ने बताया कि उसने बालाज इण्टरप्राइजेज के नाम से फर्म रजिस्टर की है। इसी फर्म की टैक्स इन्वायस तैयार कर चोरी का माल ट्रांसपोर्ट करते हैं। तैय्यार किए गए बिल कूट रचित होते हैं जिनपर किसी फर्म को क्रेता के रूप में दिखा दिया जाता है जबकि वास्तव में वह स्वयं बिजली विभाग के स्टोर या प्राईवेट ठेकेदारों से सरकारी सप्लाई का सामान ले आता है।

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