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प्रसिद्ध छंदाचार्य ओम नीरव के जन्म दिवस पर मनाया गया ‘गीतिका दिवस’

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आई.टी.आई संचार विहार, मनकापुर। साहित्य प्रोत्साहन संस्थान मनकापुर द्वारा प्रसिद्ध छंदाचार्य एवं गीतिका आंदोलन के जनक ओम नीरव के जन्म दिवस पर ‘गीतिका दिवस’ का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर कई कवियों एवं साहित्यकारों ने भाग लिया। संस्थान के सचिव एवं कार्यक्रम के सँयोजक धीरज श्रीवास्तव ने छंदाचार्य ओम नीरव को जन्मदिवस की शुभकामनाएँ देते हुए उनके द्वारा किये जा रहे साहित्यिक सद्प्रयासों सहित उनके कृतित्व व्यक्तित्व आदि की चर्चा करते हुए उनकी कृति तुलसी प्रिया का कुछ अंश लोगों को पढकर सुनाया।

कार्यक्रम का प्रारम्भ आयोजन के मुख्य अतिथि प्रख्यात पर्यावरण विद संतोष बाजपेयी ने दीप प्रज्वलित करके किया। तत्पश्चात संस्था के संरक्षक पारसनाथ श्रीवास्तव ने मुख्य अतिथि का स्वागत एवं माल्यार्पण किया।
काव्य पाठ का शुभारम्भ वरिश्ठ कवि ईश्वर चंद मेंहदावली के सरस्वती वंदना से हुआ। साथ ही उन्होंने गीतिका दिवस पर अपनी रचना पढ़कर समां बाँध दिया।
नीरव जी का जन्म दिन, देता है सन्देश।
मना गीतिका दिवस हम, हर लें मानव क्लेश।।
संस्था के अध्यक्ष एवं सुकवि अनिल कुमार पाण्डेय के
गीत ने श्रोताओं का मन मोह लिया।
मैं अविचल पथ का राही हूँ
झुकना मुझको स्वीकार नहीं।
उत्सर्ग करूँगा प्राणों का
मानूँगा बिल्कुल हार नहीं।
संस्था के संरक्षक एवं वरिश्ठ कवि पारस नाथ श्रीवास्तव ने आयोजन को अपना गीत पढ़कर गति दिया।
मन पीड़ा से तड़प रहा है
देख स्वयं की तन्हाई।
देख मुझे यह विस्मय होता
नियति नटी की निठुराई।

कवि रामलखन वर्मा ने भी अपनी रचना से श्रोताओं की खूब तालियाँ बटोरीं।
जिधर हवा है बहती रहती,उधर सभी बह जाते हैं।
कभी-कभी विपरीत हवा के बहना बहुत जरूरी है।
वहीं फैजाबाद से पधारे सुकवि चन्द्रगत भारती ने श्रोताओं का दिल जीत लिया।
इंसानियत के दुश्मन सबको डरा रहे हैं।
मासूम सी कली को जिंदा जला रहे हैं।
कवि उमाकान्त कुशवाहा ने भी अपनी क्षणिकाओं से श्रोताओं की खूब वाहवाही बटोरी।
वें जंगल कटवाते हैं
आदमी को जंगली होने से बचाते हैं।
मंच के संचालक एवं हास्य कवि सुधांशु भूषण वर्मा ने सबको खूब हँसाया।
अक्कड़ बक्कड़ तीन तलक्कड़, झैंय्यक झैंय्यक झम।
पी.एम.की कुर्सी पर भैया, जब बैठब तब हम।
वरिश्ठ कवि एवं शायर खालिद हुसैन सिद्दकी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ बखूबी जंग छेड़ी।
देश को जगाएँगे, भ्रष्टाचार मिटाएँगे।
वहीं कार्यक्रम के सँयोजक एवं संस्था के संस्थापक सचिव धीरज श्रीवास्तव ने अपनी गीतिका से श्रोताओं की भरपूर तालियाँ लूटीं।
सुखी जीवन तुम्हारा है, तुम्हें सब मिल गये अपने
हमारी खोज जारी है, हमारी आस जिन्दा है।
मुख्य अतिथि पर्यावरणविद संतोष बाजपेयी ने गीतिका दिवस के आयोजन की वर्तमान प्रासंगिकता पर बोलते हुए कहा कि ‘ओम नीरव जैसे साहित्यिक सचेतक द्वारा किये जा रहे साहित्यिक सद्प्रयासों को मैं नमन करता हूँ और गीतिका विधा के उन्नयन के लिए यूँ ही गीतिका दिवस आयोजित किये जाते रहने की आवश्यकता है।’ उन्ह़ोने आचार्य ओम नीरव के दीर्घायु जीवन के लिए शुभकामनाएँ दीं।
साथ ही सभी कवियों और साहित्यकारों द्वारा छंदाचार्य एवं गीतिका आंदोलन के जनक ओम नीरव को बधाई एवं शुभकामनाएँ प्रदान की गयीं। कार्यक्रम का समापन आयोजक धीरज श्रीवास्तव के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ।
इस अवसर पर संचार विहार परिसर के कई गणमान्य लोगों और श्रोताओं की मौजूदगी रही।

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