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लखनऊ नगर निगम ने दिया असहिष्णुता का परिचय : रालोद

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लखनऊ। राष्ट्रीय लोकदल ने कहा है कि लखनऊ नगर निगम द्वारा निजी अस्पताल, होटल आदि के लाइसेंन्स शुल्क में दस गुना वृद्वि करके स्पष्ट रूप से जनता के उपर बोझ बढ़ाया गया है क्योंकि इसका प्रभाव सीधी तौर पर उपभोक्ताओं के ऊपर ही पडे़गा। नगर निगम ने अपनी आय बढ़ाने में दस गुना की वृद्वि करके असहिष्णुता का परिचय दिया है जोकि निंदनीय है।
रालोद के प्रदेश अध्यक्ष डॉ0 मसूद अहमद ने कहा कि नगर निगम अपने उत्तरदायित्वों को निभाने में पूर्णरूप से अक्षम है। कहा कि करोड़ों रूपयों का व्यय केवल सफाई व्यवस्था पर खर्च होता है लेकिन स्वच्छता के नाम पर लखनऊ फिसड्डी शहर साबित हुआ है जबकि प्रदेश सरकार का मुख्यालय लखनऊ है। वास्तविकता यह है कि नगर निगम की ब्यूरोक्रेसी पर न तो नगर विकास मंत्री का कोई प्रभाव और न ही महापौर का।
बरसात शुरू हो चुकी है और नालों की सफाई अभी तक सम्पन्न नहीं हो सकी है। इस प्रकार जनता के हितों की अनदेखी करके महापौर और मंत्रीगण वाहवाही लूटना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि राजधानी के अनेक मुहल्लों में विगत एक माह से गंदा और बदबूदार पानी जनता को पीने के लिए उपलब्ध हो रहा है जिसको देखने वाला कोई नहीं है और न ही महाप्रबन्धक जल संस्थान पर किसी का आदेश प्रभावी है।
रालोद प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि नागरिकों को नागरिक सुविधाएं प्रदान करने के लिए ही नगर निगम, नगर पालिका होती है लेकिन नागरिक सुविधाएं देना तो दूर उल्टे नागरिकों की जेब पर सीधा-सीधा हमला करना नगर निगम के अधिकारियों के साथ-साथ महापौर और नगर विकास मंत्री का सगल बन गया है।
राष्ट्रीय लोकदल नागरिक सुविधाओं की लड़ाई सड़कों पर लड़ने के लिए मन बना चुका है। यदि शीघ्र ही इस सन्दर्भ मेंं जनता का ध्यान न दिया गया तो पोल खोल धावा बोल अभियान के तहत राष्ट्रीय लोकदल के पदाधिकारी और कार्यकर्ता सड़कों पर उतरने के लिए बाध्य होंगे।

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