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कोई चोट न जख्म, फ़िर कैसे हुईं रामजी की मौत? 

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भदोही। उत्तर प्रदेश के भदोही जिले के गोपीगंज कोतवाली में आटो चालक रामजी मिश्र की चार दिन पूर्व कथित पुलिस पिटाई से हुई मौत की गुत्थी पुरी तरह उलझ गयी है।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में शरीर के किसी भी आतंरिक हिस्से में चोट और आतंरिक जख्म के निशान नहीं मिले हैं।

हालांकि जिला प्रशासन स्तर पर इस तरह की कोई बात सार्वजनिक नहीं की गयी है, लेकिन डीजीपी कार्यालय से घटना पर दी गयी सफाई में कहा गया है कि रामजी की मौत पुलिस पिटाई से नहीं हुई है। अब सवाल उठता है फिर मौत का असली गुनहगार आखिर कौन है।
फिर मजिस्टेटी और पुलिस की विभागीय जांच से क्या हासिल होगा। उस पीड़ित परिवार को न्याय कैसे मिलेगा। क्या दूसरी घटनाओं की तरह भी इसका अंत बुरा होगा। आखिर इसका जबाब कौन देगा।
डीजीपी कार्यालय से ट्वीट के जरिये दी गयी सफाई में कहा गया है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में किसी प्रकार के गहरने जख्म नहीं पाए गए हैं। अगर पुलिस पिटाई होती तो शरीर पर गहरे जख्म होते।
एक तरह से यह साफ हो गया है कि इस मामले में पुलिस दोषी नहीं हैं। सवाल फिर इस जघन्य और अमानवीय घटना का जिम्मेदार कौन है ? हालांकि पुलिस अधीक्षक भदोही सचिंद्र पटेल ने गोपीगंज चौकी इंचार्ज और गोपीगंज थाने के कथित मुख्य आरोपी कोतवाल सुनील वर्मा को लाइन हाजिर कर दिया है।
इसके अलावा वर्मा के खिलाफ हत्या का मुकदमा भी दर्ज किया गया है। सवाल जब आतंरिक चोट की पुष्टि नहीं हुई तो रामजी की मौत फिर कैसे पुलिस पिटाई से हुई ?
जबकि बेटी दीपाली का खुला आरोप है कि पुलिस पिटाई से लाकअप में मेरे पिता की मौत हुई। अब उस परिवार का कौन होगा। किसी तरह आटो चला रामजी परिवार का पोषण करता था। अब बेटियों की शादी और इकलौते बेटे की पढ़ाई कैसे होगी?
उधर हत्या के आरोपी कोतवाल सुनील वर्मा का दावा है कि पीड़ित परिवार के प्रति मेरी और विभाग की पूरी संवेदना है। घटना बेहद दुखद है, लेकिन यह बात मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि रामजी की मौत पुलिस पिटाई से नहीं हुई और न हीं उसे हवालात में डाला गया।
थाना परिसर में दोनों भाईयों में सुलह समझौते के दौरान रामजी की तबियत बिगड़ी और दिल का दौरा पड़ने से मौत हुई। चूंकि घटना थाना परिसर में हुई इस लिए पुलिस बेगुनाह होते हुए भी मुजरिम बन गयी है। लेकिन पुलिस की इसमें कोई भूमिका नहीं है।
पिटाई के आरोप बेबुनियाद हैं। लेकिन पीड़ित परिवार के साथ हुए हादसे से दुखी हूं, हमारी पूरी संवेदना उस परिवार के साथ है। थाने का मुखिया होने के नाते दुर्भाग्य बस जो हुआ उसकी नैतिक जिम्मेदारी पुलिस और मेरी बनती है।

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