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लोकतंत्र बचाओ मोर्चा ने शुरू किया “पोलखोल” अभियान 

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मुरादाबाद। शुक्रवार को लोकतंत्र बचाओ मोर्चा ने सरकारी कार्यप्रणाली और उनके कार्यों को लेकर पोलखोल अभियान शुरू किया है जिसमे शहर में हो रहे उत्पीड़न, शोषण और भ्रष्टाचार को लेकर आवाज उठाई जा रही है।
इस क्रम में लोकतंत्र बचाओ मोर्चा ने जनता से जुडी समस्याओं को लेकर नगर निगम पर जोरदार धरना प्रदर्शन करते हुए भाजपा के मेयर विनोद अग्रवाल के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। साथ ही यहां की समस्यायों को लेकर सीएम योगी को नगर आयुक्त के माध्यम से एक ज्ञापन भेजा है।
लोकतंत्र बचाओ मोर्चा के संस्थापक हाजी इकबाल ने इस दौरान कहा की महानगर बने मुरादाबाद को 20 वर्ष हो चुके हैं 20 वर्षों में नगरपालिका से ज्यादा बुरी स्थिति यहाँ देखने को मिली है। उन्होंने कहा की स्मार्ट सिटी का ख्वाब दिखाने से पहले नगर निगम महानगर के मानक बताएं।
आज यहां पर कोई भी पार्किंग नहीं बनाई गई साथ ही महानगर ट्यूबवेल का पानी पी रहा है शुद्ध पानी की व्यवस्था भी महानगर अभीतक नहीं कर पाया है जिसके कारण हर घर में बीमारी फैली है। आगे कहा गया की शहर में ई-रिक्शा चालको का लगातार उत्पीडन किया जा रहा है।
नगर निगम ने जिस ई-रिक्शा का रजिस्ट्रेशन किया उसकी स्लिप उन्हें नहीं दी गई जिसके बाद उन्हें आयेदिन पुलिस द्वारा सड़कों पर प्रताड़ित किया जा रहा है। नगर निगम ने कुल पांच हजार ई-रिक्शाओ पर अपने नंबर डाले थे लेकिन कोई पर्ची नही दी गई इसलिए सबसे पहले नगर निगम इन गरीब ई-रिक्शा चालकों को नम्बर की पर्ची दे जिससे वह उत्पीडन से बच सकें।
दूसरी तरफ मीट कारोबारियों के पक्ष में बोलते हुए यहाँ कहा गया की यहां स्लाटर हाउस 6 साल पहले बंद किया गया था जिसकी जिम्मेदारी नगर निगम की थी। नगर निगम की विफलता के कारण एक समाज विशेष को रोजगार से वंचित कर दिया गया।
यहाँ मांग की गई की महानगर में जल्द से जल्द स्लाटर हाउस बनाकर उसे चालू किया जाए और मीट कारोबारियों को स्थाई रूप से काम करने की इजाजत दी जाए। साथ ही शहर में जो फैक्ट्रियों का मीट बेचा जा रहा है उसपर तत्काल रोक लगाई जाये।
आगे कहा गया समार्ट सिटी का सपना दिखाने वाले महापौर जो पिछले १५ वर्षों से यहाँ की कुर्सी संभाल रहे है उन्हें सबसे पहले गंगा के राष्ट्रीय अभियान को बल देना था। गंगा में जो नगर निगम का पानी व कूड़ा फेंका जा रहा है उसके लिए योजना बनाने की जरूरत थी, गंगा मां विकास है विनाश नहीं।
यहाँ विवेकानंद अस्पताल से लेकर कटघर के पुल तक महानगर का गंदा पानी व कचरा जमा करके अगर एक बिजली उत्पादन का प्लांट लगा दिया जाता तो यहाँ सस्ते दामों में बिजली पैदा हो सकती थी।

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