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20 साल में मुन्ना बजरंगी पर दर्ज थे हत्या के 40 मुकदमे

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लखनऊ/जौनपुर। बागपथ जेल में गोलियों से भूनकर मौत के घाट उतारे गये माफिया डान मुन्ना बजरंगी ने 20 साल में 40 हत्या की थी।  90 के दशक में अपराध जगत में शामिल होने वाले मुन्ना बजरंगी की एक समय पूर्वी यूपी और बिहार के कुछ इलाकों’ ’में दहशत जोरों पर थी।
माफिया डॉन और मुख्तार अंसारी के दाहिने हाथ मुन्ना बजरंगी ने पूर्वांचल में दहशत और भय का माहौल पैदा करने में बड़ी भूमिका निभाई। वर्ष 2005 में गाजीपुर के मोहम्मदाबाद से भाजपा विधायक कृष्णानंद राय समेत छह लोगों की दिनदहाड़े हत्या कर दी। मुन्ना बजरंगी का असली नाम प्रेम प्रकाश सिंह है।
उसका जन्म 1967 में जिले के सुरेरी थाना क्षेत्र के पूरेदयाल गांव में हुआ था। उसके पिता पारसनाथ सिंह उसे पढ़ा लिखाकर बड़ा आदमी बनाने का सपना संजोए थे, मगर प्रेम प्रकाश उर्फ मुन्ना बजरंगी को कुछ और करना मंजूर था। पांचवीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ दी। जवानी में मुन्ना को हथियार रखने का बड़ा शौक था।
मुन्ना फिल्मों की तरह एक बड़ा गैंगेस्टर बनना चाहता था। 17 साल की उम्र में ही उसके खिलाफ पहला मुकदमा सुरेरी थाने में दर्ज हुआ था। उस पर मारपीट और अवैध असलहा रखने का मामला दर्ज किया गया था। इसके बाद मुन्ना ने कभी पलटकर नहीं देखा। वह अपराध के दलदल में धंसता चला गया। मुन्ना अपराध की दुनिया में अपनी पहचान बनाने की कोशिश में लगा था।
इसी दौरान उसे जौनपुर के माफिया गजराज सिंह का संरक्षण हासिल हो गया। मुन्ना अब उसके लिए काम करने लगा था। इसी दौरान 1984 में मुन्ना ने लूट के लिए एक व्यापारी की हत्या कर दी। इसके बाद उसने गजराज के इशारे पर ही जौनपुर के भाजपा नेता रामचंद्र सिंह की हत्या करके पूर्वांचल में दम दिखाया।
उसके बाद उसने कई लोगों की जान ली। पूर्वांचल में अपनी साख बढ़ाने के लिए मुन्ना बजरंगी 90 के दशक में पूर्वांचल के बाहुबली माफिया और राजनेता मुख्तार अंसारी के गैंग में शामिल हो गया। यह गैंग पूर्वी उत्तर प्रदेश के मऊ से संचालित हो रहा था, लेकिन इसका असर पूरे पूर्वांचल पर था।
मुख्तार अंसारी ने अपराध की दुनिया से राजनीति में कदम रखा और 1996 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर मऊ से विधायक निर्वाचित हुए। इसके बाद इस गैंग की ताकत बढ़ गई। मुन्ना सीधे पर सरकारी ठेकों को प्रभावित करने लगा था। वह लगातार मुख्तार अंसारी के निर्देशन में काम कर रहा था।
पूर्वांचल में सरकारी ठेकों और वसूली के कारोबार पर मुख्तार अंसारी का कब्जा था लेकिन इसी दौरान तेजी से उभरते बीजेपी के विधायक कृष्णानंद राय उनके लिए चुनौती बनने लगे। उन पर मुख्तार के जानी दुश्मन ब्रिजेश सिंह का हाथ था। उसी के संरक्षण में कृष्णानंद राय का गैंग फल फूल रहा था। इसी वजह से दोनों गैंग अपनी ताकत बढ़ा रहे थे। इनके संबंध अंडरवर्ल्ड के साथ भी जुड़े गए थे।
कृष्णानंद राय का बढ़ता प्रभाव मुख्तार गैंग को रास नहीं आ रहा था। उन्होंने कृष्णानंद राय को खत्म करने की जिम्मेदारी मुन्ना बजरंगी को सौंप दी।मुख्तार से फरमान मिलने के बाद मुन्ना बजरंगी ने भाजपा विधायक कृष्णानंद राय को खत्म करने की साजिश रची और उसके चलते 29 नवंबर 2005 को माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के कहने पर मुन्ना बजरंगी ने कृष्णानंद राय की हत्या कर दी।
उसने साथियों के साथ मिलकर लखनऊ हाइवे पर कृष्णानंद राय की दो गाडिय़ों पर एके-47 से सैकड़ों गोलियां बरसाई थी। इस हमले में गाजीपुर से विधायक कृष्णानंद राय के अलावा उनके साथ चल रहे 6 अन्य लोग भी मारे गए थे। पोस्टमार्टम के दौरान हर मृतक के शरीर से 60 से 100 तक गोलियां बरामद हुईं थी। इस हत्याकांड ने सूबे के सियासी हलकों में हलचल मचा दी। इस हत्या को अंजाम देने के बाद वह मोस्ट वांटेड बन गया था।

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