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ध्यान हटाने का एक मात्र शिगूफा है इन्वेस्टर्स समिट का पुनः आयोजन: कांग्रेस

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लखनऊ। कांग्रेस पार्टी ने कहा है कि प्रदेश की योगी सरकार आगामी 28 एवं 29 जुलाई को लखनऊ में इन्वेस्टर्स समिट आयोजित करके हजारों करोड़ रूपये की परियोजनाओं का शिलान्यास एवं अन्य विभिन्न योजनाओं का शुभारम्भ प्रधानमंत्री द्वारा कराये जाने का एक नया शिगूफा छोड़कर बेरोजगारों, युवाओं को भ्रमित करने एवं अपनी विफलताओं से ध्यान हटाने का मात्र एक प्रयास है।
कांग्रेस पार्टी ने अपने बयान में कहा कि अभी हाल ही में प्रदेश सरकार के उद्योग मंत्री द्वारा अपने विभाग को यह निर्देश दिया गया है कि इन्वेस्टर्स समिट के माध्यम से आने वाले येजनाओं के सम्बन्ध में अनापत्ति प्रमाणपत्र तत्काल प्रस्ताव मिलते ही जारी कर दिये जायें।
अभी जहां प्रस्ताव ही नहीं आया है और उसका शिलान्यास करने की तिथि की घोषणा कैसे की जा सकती है। प्रदेश सरकार ने अभी तक यह भी सार्वजनिक नहीं किया है कि कौन सी योजना कहां और किस जिले में शुरू की जायेगी।
पार्टी ने कहा कि इस सम्बन्ध में मुख्यमंत्री को कांग्रेस पार्टी याद दिलाना चाहती है कि भारतीय जनता पार्टी ने 2017 के विधानसभा चुनाव में अपने चुनावी घोषणा पत्र में पृष्ठ संख्या 7 पर वादा किया था कि उ0प्र0 में स्थापित होने वाले हर उद्योग में 90 प्रतिशत नौकरियों को प्रदेश के युवाओं के जरिये आरक्षित किया जायेगा।
क्या सरकार ने इन उद्योगों को लगाने वाले मालिकों से होने वाले करार में इस बिन्दु को शामिल किया है? क्या उद्योग लगाने वाले मालिकों ने इस पर अपनी सहमति दी है? इसके साथ ही भारतीय जनता पार्टी ने अपने घोषणापत्र में एक और वादा किया था कि सरकार बनने के 90 दिन के भीतर प्रदेश के सभी रिक्त सरकारी पदों को भरने के लिए पारदर्शी तरीके से प्रक्रिया प्रारम्भ करेंगे, लेकिन एक वर्ष तक कुछ नहीं किया।
प्रदेश में लगातार बेरोजगारी बढ़ती जा रही है। आये दिन शिक्षित बेरोजगार नौकरी के लिए सड़कों पर उतरकर संघर्ष कर रहे हैं और सरकार उनको रोजगार देने के बजाय उनपर लाठियां बरसा रही है। कांग्रेस पार्टी ने कहा है कि स्मार्ट सिटी का शुभारम्भ भी भारतीय जनता पार्टी द्वारा प्रदेश की जनता के साथ एक भद्दा मजाक है। राजधानी लखनऊ के नगर निगम में कर्मचारियों को देने के लिए वेतन नहीं है।
आये दिन सड़कों पर उतरकर संघर्ष कर रहे हैं। तीन अरब रूपये से अधिक नगर निगम पर कर्ज हो चुका है। सड़कें बदहाल स्थिति में हैं। कूड़ा और कचरा सड़कों पर फैला हुआ है। पूरा शहर अतिक्रमण से पटा पड़ा है और सरकार इस पर कोई ध्यान नहीं दे रही है। रोज नये-नये योजनाओं की केवल घोषणा कर रही है। ऐसी स्थिति में स्मार्ट सिटी का शुभारम्भ किया जाना हास्यास्पद लगता है।
प्रशासन एवं नगर निगम के अधिकारी व कर्मचारियों ने इस अतिक्रमण को अपनी कमाई का जरिया बना लिया है। यही कारण है कि कई बार अतिक्रमण अभियान चलाये जाने के बावजूद भी स्थिति ज्यों की त्यों बनी हुई है। इन्वेस्टर्स समिट में सिर्फ दिखावा के लिए दो दिन के लिए कुछ सड़कों को साफ एवं अतिक्रमण से मुक्त कर दिया जायेगा और समिट के समाप्त होते ही सब कुछ वैसा ही हो जायेगा।
प्रदेश की भाजपा सरकार द्वारा इन्वेस्टर्स समिट का पुनः आयोजन प्रदेश की जनता और बेरोजगार युवाओं को भ्रमित करने एवं ध्वस्त हो चुकी कानून व्यवस्था सहित हर मोर्चे पर अपनी विफलताओं से ध्यान हटाने के लिए मात्र एक शिगूफा है।

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