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बावरिया गिरोह का एक लाख का इनामी डकैत एसटीएफ के हत्थे चढ़ा

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के बाराबंकी, लखनऊ, फर्रूखाबाद आदि जिलों में डकैती व हत्या की सनसनीखेज वारतादों को अंजामदेने वाले बावरिया गिरोह के एक लाख रुपए के इनामी डकैत किशन उर्फ कालिया को आज यूपी की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने लखनऊ के थाना काकोरी से गिरफ्तार करने में सफलता प्राप्त की है।
पकड़ा गया डकैत नाम बदलने में माहिर हैं, किशन और कालिया के अलावा वह राकेश उर्फ राजू बावरिया नाम से भी जाना जाता है। वह मूल रूप से हरियाणा राज्य के पलवल जिले का रहने वाला है, जो राजस्थान के थाना महेन्द्रगढ में रहे चुका है और फिलहाल और हरियाणा के थाना बहल में रहा था।
आरोपी के पास से एक तमंचा, डकैती में लूटे गए चांदी व सोने के जेवर, सिक्के व घटना में प्रयुक्त बाइक बरामद हुई है। आरोपी के खिलाफ यूपी के कई जिलों में 14 मामले दर्ज हैं।  यूपी एसटीएफ के एसएसपी अभिषेक सिंह ने बताया कि बाराबंकी, लखनऊ एवं फर्रूखाबाद में हुई डकैती में शामिल बावरियां गिरोह के कई सदस्यों को एसटीएफ कई सदस्यों को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी थी।
लेकिन किशन उर्फ कालिया फरार चल रहा था। उसकी गिरफ्तारी के लिए एक लाख रुपए का इनाम घोषित किया गया था। एसएसपी ने बताया कि आज दोपहर सवा दो बजे नोएडा एसटीएफ से मिली सूचना पर टीम ने कालिया को लखनऊ के थाना काकोरी के जलियामऊ स्थित नागेश्वर मंदिर के पास से आगरा-लखनऊ हाइवे सर्विस रोड से गिरफ्तार किया।
पूछताछ पर आरोपी कालिया ने बाराबंकी, लखनऊ एवं फर्रूखाबाद में हुई डकैती में शामिल होना स्वीकार किया और बताया कि उसका गिरोह यूपी के अलावा उत्तराखण्ड, हरियाणा, राजस्थान के कई नगरों में डकैती डाल चुका है। पूछताछ पर आरेपी ने बताया कि वह  बावरिया जाति के हिरीवाला गोत्र का है।
उसने बताया कि यदि घटना में जाने से पहले यदि कोई बिल्ली रास्ता काट जाती है या मोर बोलता है तो वह लोग घटना करने नही जाते हैं। यही नहीं अगर एक छोटी चिड़िया (चकोतरी) बांए हाथ से आवाज देती है तो वह लोग घटना को अंजाम देने से पहले लौट आते हैं। यही नहीं जब वह लोग घटना अंजाम दे सकुशल लौट आते हैं तो कढ़ाई का काम करते है। बकरा देवी मॉ को चढाते है। जिसका प्रसाद सभी में बांटा जाता है।

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