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इंजीनियर बनने का सपना बिटिया के सपनों को झटका दे दिया

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कुशीनगर। उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जनपद के पडरौना शहर से सटे भरवलिया गांव में रविवार रात हुई लोमहर्षक घटना ने बच गई बिटिया के सपनों को भी झटका दे दिया है। इंजीनियर बनने का सपना देखकर पढ़ाई में जुटी बिटिया अपने सामने ही मां-बाप व दो भाइयों के शव देखकर अब तक विचलित है।
ननिहाल में रह रही माधुरी पढ़ना तो चाहती है लेकिन अब पडरौना या अपने पिता के गांव दांदोपुर नहीं जाना चाहती। वह पडरौना के सेंट थ्रेसस स्कूल में छठीं कक्षा में पढ़ती है। घटना देखने के बाद सोमवार सुबह से ही पत्थर की तरह मजबूत दिख रही माधुरी शाम को जब ननिहाल पहुंची तो बिलख पड़ी।
उसकी मौसी दीपमाला सिंह व अन्य महिलाओं का कहना था कि पूरी रात वह सो नहीं पाई। बहुत प्रयास के बाद भी उसने कुछ भी नहीं खाया। माधुरी की दशा देखकर ननिहाल के लोग भी खुद को रोक नहीं पा रहे थे। सोमवार की रात ननिहाल में भी चूल्हा नहीं जला।
पत्नी और दो बेटों की हत्या करने के बाद खुद आत्महत्या करने वाले माधव मुरारी सिंह का स्वभाव पांच वर्ष पहले तक काफी सरल था। उन्होंने न केवल बड़े भाई का घर बनवाने में मदद की थी। बल्कि दो बहनों की शादी भी की। 85 वर्षीय बूढ़ी मां उन्हीं के साथ रहती थीं।
जनपद के दांदोपुर गांव के ब्रह्मा सिंह छह बेटे-बेटियों और पत्नी विशुनदेवा को छोड़कर वर्षों पहले संसार से विदा हो गए। बड़े बेटे जटाशंकर ने पिता के जीवनकाल में ही अपनी गृहस्थी अलग बसा ली थी। मझले बेटे यशवंत मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं थे और अर्सा पहले उनकी मौत हो गई।
छोटे बेटे माधव मुरारी स्वास्थ्य विभाग में चीफ फार्मासिस्ट थे और मां उनके ही आसरे थीं। ब्रह्मा सिंह की तीनों बेटियां विवाहित हैं। जो अपनी-अपनी गृहस्थी में हैं। माधव तीन भाइयों में सबसे छोटे थे। फिर भी उन्हें जिम्मेदारियों का बड़ा अहसास था। पिता की मौत के बाद उन्होंने दो बहनों का विवाह अपनी देख-रेख में किया। उन्होंने ही पिता से अलग होने वाले बड़े भाई का मकान बनवाया।
साथ ही दांदोपुर और पडरौना में अपने घर बनवाए। माधव के जीवन में लगभग पांच वर्ष पूर्व उथल पुथल शुरू हुई, जिससे उनकी पत्नी और बच्चे पडरौना, जबकि मां गांव वाले घर में रहती थीं। बताते हैं कि पत्नी से अनबन के कारण मानसिक तनाव झेल रहे माधव मुरारी कई बार अपनी मां के साथ भी कड़वी बातें कर दिया करते थे और मां को माहौल शांत होने तक पड़ोसी अथवा परिचितों के घर में कुछ वक्त गुजारना पड़ता था।

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