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यूपी की जेलों में 3130 कैदियों की मौत, 98 ने की आत्महत्या

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लखनऊ/भदोही। उत्तर प्रदेश की जेलें मौत का कब्रबाह बन रही हैं। यहां मानवाधिकार और कैदियों के अधिकारों को लेकर कोई नियम कानून नहीं दिखते हैं। पिछले आठ सालों में राज्य की 63 जिलाकारागार, 05 केंद्रीय और तीन विशेष जेलों में 3130 कैदियों की मौत हुई हैं। जबकि इस दौरान 98 कैदियों ने आत्महत्या की है। जेल में हुई मौत के मामले में सूबे में बरेली टाप पर है।
जेल में मरने वालों में सजायाफ्ता और विचाराधीन कैदी शामिल हैं। आखिर जेलों के सुधार के नाम पर क्या खेल हो रहा है। कैदियों की मौत क्यों हो रही है यह बड़ा सवाल है। यह जानकारी मुख्यमंत्री कार्यालय से मांगी गयी एक आरटीआई में उपलब्ध करायी गयी हैं। जिसमें 2010 से 30 जून 2018 का ब्यौरा शामिल है।
भदोही जिले के आरटीआई कार्यकता राजमणि पांडेय की ओर से मुख्यमंत्री कार्यालय से जनसूचना का अधिकार के तहत यह जानकारी मांगी गयी थी। जिसके जबाब में कारागार प्रशासन एंव सुधार सेवाएं लखनऊ की तरफ से दी गयी जानकारी में बताया गया है कि आठ सालों में अब तक 3130 कैदियों की मौत हुई है।
जबकि 98 कैदियों ने आत्महत्या की है। जेल में मौत के मामले में सूबे में बरेली सबसे अव्वल है। यहां इस अवधि में कुल 201 कैदियों की मौत हुई है। जबकि जिला कारागार ललितपुर और सोनभद्र में सबसे कम यानी सिर्फ दो मौतें हुई हैं। 2016 कैदियों के लिए सबसे बुरा साल रहा। इस वर्ष पूरे यूपी में 409 कैदियों की मौत हुई जबकि 20 कैदियों ने आत्महत्या की।
वहीं 2017 में 400 कैदियों ने मौत को गले गलाया और सबसे कम 05 कैदियों ने आत्महत्या किया। साल 210 में मौत 322 आत्महत्या 07, 2011 में 288 मौत आत्महत्या 06, 2012 मौत 360 आत्महत्या 09, 2013 मौत 357 आत्महत्या 18, 2014 में  337 मौत जबकि 17 लोगों ने आत्महत्या की। वहीं 2015 में भी यह सिलसिला लगातार जारी रहां, इस वर्ष 346 मौत 11 कैदिया ने आत्महत्या किया।
जबकि चालू साल 2018 में 213 मौतें और 05 आत्महत्याएं हुई। आरटीआई के माध्यम से मिली जानकारी में यह साबित होता है कि सूबे की जेलों के हालात ठीक नहीं है। जेल सुधार के नाम पर सिर्फ लूट है। जेल मैनुवल के अनुसार कैदियों के स्वास्थ्य की देखभाल के लिए जलों में चिकित्सकों की तैनाती है। फिर कैदियों की मौत क्यों हो रही है।

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