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विधानसभा में उठा बसपा कार्यकर्ताओं को जेल भेजने का मामला, विपक्ष ने किया वाकआउट

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लखनऊ। सदन में आरक्षण के समर्थन में गत दो अप्रैल को प्रदर्शन कर रहे अनुसूचित जाति के लोगां को गंभीर धाराओं में निरूद्ध किये जाने का मामला उठा जिसमें सरकार के जवाब से असन्तुष्ट सपा, बसपा और कांग्रेस के सदस्य वाक आउट कर गए। विधानसभा में शून्यकाल के दौरान बसपा विधानमंडल दल के नेता लाल जी वर्मा और विधायक सुखदेव राजभर ने मेरठ में दो अप्रैल को अनुसूचित जाति अनुसूचित जाति अधिनियम में संशोधन से नाराज होकर कुछ अनुसूचित जाति के संगठनों ने भारत बंद किया था।
जिसमें आंदोलनकारियों को पुलिस ने मेरठ में गंभीर अपराधिक धाराओं में मुकदमा दर्ज करके जेल भेज दिया गया है और पूर्व विधायक योगेश वर्मा को रासुका में निरूद्ध कर दिया गया है। सुखदेव राज भर ने कहा कि हापुड़, मेरठ आगरा और आजमगढ़ में तीस से चालीस निर्दोष युवकों को जेलों में डाल दिया गया है। उन्होनें कहा कि पुलिस ने बसपा कार्यकर्ताओं को पूर्वागृहों के चलते जेल में भेज दिया है। उन्होंने कहा कि पुलिस की इस कार्यवाही से जनता में आक्रोश है इसलिए इस मामले की सरकार निष्पक्ष तरीके से जांच कराए और निर्दोषो को जेल से रिहा किया जाए।
बसपा नेता राम अचल राजभर ने कहा कि आंदोलन के दिन योगेश वर्मा मामला शांत करने के लिए गए थे पुलिस ने उन्हीं को रासुका में बंद कर दिया। राजभर ने कहा कि बहुत से बसपा कार्यकर्ताओं को गैगस्टर में निरूद्ध कर दिया गया। उन्होंने मांग की कि आंदोलन कारियों पर लगाए गए मुकदमों को वापस लिया जाएं।
नेता प्रतिपक्ष राम गोविंदं चौधरी ने कहाकि आंदोलन करना हर एक का लोकतांत्रिक अधिकार है। इसलिए पूरा विपक्ष बसपा नेता के साथ है।
इस प्रकरण पर बोलते हुए हस्तिनापुर के विधायक दिनेश खटिक ने कहा कि योगेश वर्मा मेरठ का शातिर अपराधी रहा है। यह घटना के दिन आगजनी में शामिल था। इस मामले पर सरकार की तरफ से जवाब देते हुए संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि लोकतंत्र में प्रदर्शन करने के लिए कोई मनाही नहीं है किंतु आंदोलन के दौरान बसों को फूंक देना, थाने चौकी पर आगजनी करना और हिंसा का तांडव करना उचित नहीं है।
उन्होंने कहा कि यह कहना कतई सही नहींं है कि बसपा का पूर्व विधायक योगेश वर्मा निर्दोष है। वास्तविकता यह है कि योगेश वर्मा मेरठ का हिस्ट्रीशीटर है। उसके खिलाफ 1995 में मेरठ के निसारी गेट पर अपराध संख्या 54-95 के तहत हत्या का मुकदमा दर्ज है। वर्ष 2012 में परतापुर थाने में उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 332,353,156 आदि में मुकदमें दर्ज हैं। उन्होंने कहा कि इस घटना की निष्पक्ष जांच की जाएगी। इसके बाद बसपा, समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के सदस्य सदन से वाकआउट कर गए।

सदन में गूंजा 40 जनपदों में आयी बाढ़ से हुई हानि का मामला, विपक्ष का वाकआउट

विधानसभा में बुद्धवार को प्रदेश के 40 जनपदों में बाढ़ आने के बाद हुई जन धन हानि का मामला काम रोको प्रस्ताव के रूप में उठा और सरकार से राहत कार्य सुचारू रूप से करने की मांग की गयी। सदन में प्रदेश के 40 जनपदों में आयी बाढ़ से हुई हानि का मामला नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद चौधरी ने उठाया।
उन्होंने कहा कि पिछली सरकार की बाढ़ सुरक्षा को लेकर बनायी गयी योजनाएं रोक दी गयी है। भारी पशु और जन हानि हुई है। किसानों के घर गिर गए हैं। उन्होंने शिकायत की कि बाढ़ से बचाव के लिए नावों की भारी कमी है। कांग्रेस के अजय कुमार लल्लू ने कहा कि विपक्षी दलों के विधायकों के क्षेत्रों में अफसर राहत कार्य नहीं करा रहे हैं।
इस मामले में बाढ़ एवं आपदा प्रबंधन राज्य मंत्री स्वाति सिंह ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि बिना भेदभाव के सभी बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में युद्धस्तर पर राहत कार्य किया जा रहा है। उन्होंने विपक्षी सदस्यो के आरोपों का आंकड़ां सहित जवाब देते हुए कहा कि जब मुख्यंमंत्री स्वयं बाढ़ राहत अभियान का संचालन कर रहे हैं तो फिर किसी को भी चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। सरकार पूरी तरह सजग और सतर्क है।
संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में नावों की पूरी व्यवस्था की गयी है। सरकार बाढ़ सें प्रभावित लोगों की पूरी मदद करेगी। सरकार के जवाब से असंतुष्ट विपक्षी सदस्य सदन से बर्हिगमन कर गए। इसके बाद अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने आज की कार्यसूची का निस्तारण करके गुरूवार पूर्वाहन 11बजे तक के लिए सदन की कार्यवाही को स्थगित कर दिया।

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