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विवेक तिवारी हत्याकांड: टिड्डों की तरह संवेदना का व्यापार करने टूट पड़े लखनऊ से दिल्ली तक के राजनीतिक दल

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लखनऊ। एक तो साधारण आदमी एप्पल कंपनी के एरिया सेल्स मैनेजर (नार्थ) विवेक तिवारी (38) की पुलिस के सिपाही प्रशांत चौधरी ने गोली मारकर हत्या करके दो मासूम बेटियों को अनाथ कर दिया। इस घटना से पूरा परिवार सदमें में। विवेक हत्याकांड के बाद पूरे देश में पुलिस के प्रति आक्रोश है।
एक हँसते खेलते परिवार की सारी खुशियां उजड़ने के बाद परिवार को मुआवजा और पत्नी को नगर निगम में नौकरी देने की घोषणा हो गई। सिपाहियों को बर्खास्त करके जेल भेज दिया गया लेकिन, सिपाहियों की सजा विवेक की पत्नी और बेटियों को जीवन भर के लिए मिली यातना के सामने कुछ भी नहीं है। घटना के बाद मृतक के घर सियासी रोटी सेंकने वालों का तांता लगा हुआ। पीड़ित परिवार और उनके मासूम बच्चे सही से खाना तक नहीं खा पा रहे हैं।

शर्मनाक: संवेदना का व्यापार करने दिल्ली तक के नेता टूट पड़े 

घटना के बाद जिस तरह लखनऊ से लेकर दिल्ली तक राजनीतिक दल टिड्डों की तरह संवेदना का व्यापार करने टूट पड़े, वह भी शर्मनाक है। इसी राजनीतिक बाजीगरी के कारण हमारे यहां चीजें सुधरती नहीं, वे साल दर साल वैसे ही पड़ी रह जाती हैं। जीवन एक पल में कैसे बदल जाता है, यह घटना इस सत्य की बानगी है। इस घटना ने रात बिरात अकेले निकलने वाले शरीफ लोगों को बेहद डरा दिया है। कार में जा रहे किसी व्यक्ति की जान यदि वर्दी ले सकती है तो चोर बदमाश तो फिर आफत ही ढा देंगे।
विवेक की निढाल पत्नी का रोते हुए यह कहना कि, ‘पुलिस पागल हो गई है यूपी पुलिस के दामन पर एक ऐसे दाग की तरह चिपक गया है जो अब छुटाये नहीं छूटेगा। दाग हटाना है तो पोस्टिंग से लेकर वसूली तक के अनेक प्रश्न हल करने होंगे जोकि सम्भव नहीं। दोष नीचे नहीं, ऊपर है और व्यवस्थागत है। यूपी पुलिस में बहादुरों की कमी नहीं। न ऊपर, न बीच में और न नीचे। प्रश्न बस दृष्टि और भावना का है।
लगातार नेताओं और मंत्रियों के पहुँचने के चलते अपार्टमेंट के लोग भी काफी परेशान हो रहे हैं। कुछ लोग दबी जुबान से इसका विरोध कर रहे हैं लेकिन पुलिस के भय से कुछ भी कह नहीं पा रहे हैं। लोगों का कहना है कि दिनभर वीआईपी लोगों के आने के चलते बच्चों की पढ़ाई तक सही से नहीं हो रही है। वहीं आने जाने में भी बड़ी दिक्कत हो रही है।

लगातार मंत्री और नेता पहुँच रहे कल्पना के घर

सरकार की किरकिरी करके कटघरे में खड़ी पुलिस ने विभाग की फजीहत करा दी। मीडिया के माध्यम से पूरे देश में इस हत्याकांड की आंच पहुंची तो भाजपा सरकार सहित सभी छोटे-बड़े राजनीतिक दलों ने सियासी रोटियां सेंकना शुरू कर दिया। विवेक की हत्या के बाद उनके घर सबसे पहले भाजपा के कैबिनेट मंत्री आशुतोष टंडन पहुंचे। इसके बाद से प्रदेश के कानून मंत्री बृजेश पाठक एवं प्राविधिक शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन भी पहुंचे। इसके बाद उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या, डॉ. दिनेश शर्मा भी पहुंचे।
वहीं कांग्रेस के यूपी अध्यक्ष राज बब्बर, सपा के पूर्व मंत्री आनंद भदौरिया पहुंचे थे। रविवार को आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह भी पहुंचे थे। उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल से भी कल्पना की बातचीत करवाई थी। फिर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने फोन पर कल्पना से बात की।
सोमवार को डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा फिर विवेक के घर पहुंचे और कल्पना को साथ लेकर गए और सीएम योगी से उनके सरकारी आवास पर मुलाकात करवाई। सोमवार दोपहर सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव विवेक के आवास पर पहुंचे। इसके बाद कांग्रेस की अध्यक्षा रह चुकी सोनिया गांधी ने फोन पर कल्पना से बातचीत की और एक प्रतिनिधि मंडल को विवेक के आवास पर भेजकर पीड़ित परिवार के प्रति संवेदना जाहिर की।

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