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शाहजहांपुर में इकलौती महिला ई-रिक्शा चालक है सुमन बनी मिसाल

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शाहजहांपुर। ‘कौन कहता है कि आसमान में छेद नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो।’ किसी शायर की ये चंद लाईने शाहजहांपुर की रहने वाली सुमन पर ठीक जाती है। इंसान का हौंसला अगर मजबूत हो तो आसमां भी उसके आगे झुक जाता है और यही हौसला उसे कुछ कर गुजरने की ताकत भी देता है।
कुछ ऐसे ही हौसले की जीती जागती मिसाल यूपी के शाहजहांपुर की रहने वाली सुमन है। जिसने ई-रिक्शे का ड्राईवर बनकर अपनी कमजोरी को अपनी ताकत बना लिया। अपने और अपने बच्चों के लिए सुमन अपने ई-रिक्शे के साथ जिन्दगी की खुशिया तलाश रही है। सुमन के इस हौसले को यहां हर कोई सलाम कर रहा है।

पूरे शहर में अकेली महिला ई-रिक्शा महिला चालक, पति की हो चुकी मौत 

हाथों में ई-रिक्शा का एक्सलरेटर और चेहरे पर हिम्मत की मुस्कान देखकर यहां हर कोई इस महिला के हौसलों की तारीफ कर रहा है। इस महिला का नाम सुमन है जो ई रिक्शा के जरिए अपनी जिन्दगी को रफतार देने के लिए सड़कों पर उतर आयी है। पूरे शहर में ये एक अकेली ई-रिक्शा महिला चालक है।
उम्र कम है लेकिन इसके हौसलों का अन्दाजा लगा पाना मुश्किल है। इसके हौंसलों के पीछे कहानी भी बेहद दर्द भरी है। दरअसल सुमन के पति की 2014 में सांप काटने से मौत हो गई थी। पति की मौत के बाद सुमन अपने मायके आ गई लेकिन 2017 में उसके पिता की भी मौत हो गई।

दो सौ से तीन सौ रुपये कमा कर पालती है परिवार का पेट  

सुमन उसकी गोद ली हुई दो बेटियों और उसकी मां के सामने रोजी रोटी का बड़ा संकट खड़ा हो गया। जिसके बाद उसने हिम्मत नही हारी। उसकी अपनी कमजारी को ताकत बनाने का फैसला किया। सुमन ने अपने एक परिचित के जरिए एक दिन में ही ई रिक्शा चलाना सीख लिया। अगले ही दिन सुमन ने किराये पर ई रिक्शा लिया और सड़क पर उतर आयी।
सड़क पर महिला को ई रिक्शा चलाते देख हर कोई उसे देखता ही रह जाता। सुमन की माने तो कई बार लोगों ने उस पर महिला होने के कमेन्ट किये लेकिन उसने बिना किसी परवाह के ई रिक्शा चलाना जारी रखा। आज सुमन रोजाना दो सौ से तीन सौ रुपये कमा लेती है जिससे उसके परिवार का पेट पलना शुरू हो गया है। सुमन का कहना है कि वो अब  दूसरी जरूरत मन्द महिलाओं को भी ई रिक्शा चलाना सिखायेगी।

अपनी कमजोरी को महिलाएं बनायें अपनी ताकत

मंजिलें उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है। सुमन किसी के आगे मदद के हाथ फैलाना नहीं चाहती है।बल्कि अपनी मेहनत से पैसा कमाना चाहती है। वो महिलाओं से अपील भी कर रही है कि वो अपनी कमजोरी को अपनी ताकत बनाएं। सुमन के इस हौसले को देखकर यहां हर कोई उसके जज्बे को सलाम कर रहा है।
कहते है कि हार ही जिन्दगी में जीतने का हौसला देती है। लेकिन सुमन जिन्दगी से हार मानना नही चाहती है। सुमन आज उन महिलाओं के लिए एक मिशाल है जो वक्त के आगे हार मान लेती है। लेकिन सुमन ने ई रिक्शा के जरिए अपनी थमी हुई जिन्दगी को एक रफ्तार देकर हौसलों की उड़ान भर दी है।

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