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ग़लत ख़बर के ख़िलाफ़ बीबीसी ने शुरू की नई विशाल अंतरराष्ट्रीय मुहिम की शुरुआत

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  • द बियोन्ड फ़ेक न्यूज़ प्रोजेक्ट 12 नवंबर को लॉन्च हो रहा है.
  • इस बात पर मौलिक रिसर्च कि लोग ग़लत ख़बरें क्यों शेयर करते हैं.
  • बीबीसी के टीवी, रेडियो और ऑनलाइन इंटरनेशनल नेटवर्क पर विश्वस्तरीय डॉक्यूमेंट्री, स्पेसल रिपोर्ट और फ़ीचर होंगे शामिल.
  • मीडिया साक्षरता, हैकाथॉन और कांफ्रेंस के ज़रिए भारत और केन्या में जागरूकता के व्यापक अभियान की शुरुआत
बीबीसी 12 नवंबर से बियोंड फेक न्यूज़ प्रोजेक्ट लॉन्च कर रहा है. इसकी शुरुआत एक रिसर्च के नतीजों को जारी करने से होगी. ये मौलिक रिसर्च इस बात पर की गई है कि लोग क्यों और कैसे ग़लत ख़बरें शेयर करते हैं. पूरी दुनिया में ग़लत और भ्रामक ख़बरें सामाजिक और राजनैतिक नुक़सान पहुंचा रही हैं. आज लोगों का ख़बर पर भरोसा कम होता जा रहा है. कई बार तो झूठी ख़बरों के फैलने का नतीजा हिंसा और लोगों की मौत तक के रूप में सामने आया है.
बीबीसी के बियोंड फेक न्यूज़ प्रोजेक्ट का मक़सद विश्व स्तर पर मीडिया की साक्षरता का अभियान चलाना है. इसके तहत, भारत और केन्या में पैनल बहस से लेकर हैकाथान तक आयोजित होंगे. झूठी ख़बरों की रोकथाम के लिए तकनीक की मदद लेने के तरीक़ों पर विचार होगा. इसके अलावा इस प्रोजेक्ट के तहत अफ्रीका, भारत, एशिया-प्रशांत क्षेत्र, यूरोप अमरीका और मध्य अमरीका में बीबीसी के नेटवर्क पर ख़ास प्रोग्राम भी दिखाए जाएंगे. 12 नवंबर को जो रिसर्च जारी की जाने वाली है, वो बीबीसी को लोगों के मैसेजिंग ऐप तक पहुंच से हासिल हुई हैं. लोगों ने ख़ुद ही अभूतपूर्व रूप से बीबीसी को अपने मैसेजिंग ऐप की पड़ताल का मौक़ा दिया. इससे मिले आंकड़ों पर रिसर्च की गई और उसके नतीजे 12 नवंबर को इस कार्यक्रम की शुरुआत में जारी किए जाएंगे.
द बियोंड फेक न्यूज़ प्रोजेक्ट के तहत मीडिया को जागरूक करने के अभियान के तहत भारत और केन्या में वर्कशॉप की शुरुआत पहले ही हो चुकी है. ये कार्यशालाएं, ब्रिटेन में भ्रामक ख़बरों से निपटने के बीबीसी के बुनियादी काम के तजुर्बों पर आधारित हैं. ब्रिटेन में तो डिजिटल साक्षरता की वर्कशॉप को पूरे देश के स्कूलों में भी आयोजित किया गया था.
बीबीसी वर्ल्ड सर्विस ग्रुप के निदेशक जेमी एंगस कहते हैं कि, ‘2018 में मैंने क़सम ली थी कि बीबीसी वर्ल्ड सर्विस ग्रुप फेक न्यूज़ की वैश्विक समस्या के ख़तरों पर चर्चा से आगे क़दम बढ़ाएगा और इसे रोकने के लिए ठोस कदम उठाएगा. विश्व स्तर पर मीडिया के पैमाने बहुत ख़राब हैं. जिस आसानी से भ्रामक और ग़लत ख़बरें बिना रोक-टोक के डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर तेज़ी से बढ़ाई जाती हैं, उन्हें रोकने के लिए आज ख़बरों के भरोसेमंद माध्यमों की तरफ़ से प्रभावी पहल की उम्मीद की जा रही है.
हम ने अपनी बातों को ज़मीनी हक़ीक़त बनाने पर ज़ोर दिया है, ताकि भारत और अफ्रीका में फेक न्यूज़ के ख़िलाफ़ मुहिम से असली बदलाव आ सके. हम ने ऑनलाइन दुनिया में ख़बरें साझा करने के बर्ताव पर रिसर्च में काफ़ी निवेश किया है. इसके अलावा हम ने मीडिया की साक्षरता के लिए कार्यशालाओं का पूरी दुनिया में आयोजन किया है. इसके अलावा बीबीसी रियालिटी चेक के अपने वादे के तहत दुनिया भर में आने वाले वक़्त में होने वाले अहम चुनावों की पड़ताल का वादा किया है. इस साल हम फेक न्यूज़ की पहचान करने से लेकर इससे निपटने के तरीक़े सुझाने-तलाशने में पूरी दुनिया में अगुआ के तौर पर काम करने का फ़ैसला किया है.’
द बियोंड फेक न्यूज़ सीज़न-
फेक है या सच्चा है, झूठ है या सही है, पारदर्शी है या जान-बूझकर भ्रम फैलाने वाला है-आप ये फ़र्क़ कैसे जान सकते हैं? आप भरोसा जीतने में मदद के लिए क्या कर सकते हैं. बियोंड फेक न्यूज़ सीज़न मे हम इन्हीं सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश करेंगे. इस सीज़न में हम इस बात पर गहराई से पड़ताल करती रिपोर्ट दिखाएंगे कि कैसे एक झूठे व्हाट्सऐप मैसेज ने भारत के एक गांव में भीड़ को हत्यारी बना दिया. इस सीज़न में पूरी दुनिया से ऐसी ही ख़बरों को टीवी, रेडियो और ऑनलाइन माध्यम से प्रस्तुत किया जाएगा. ये कवरेज बीबीसी के पत्रकारों के लंबे तजुर्बे पर आधारित होगी.

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