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राहुल गांधी गरीबों को देंगे आमदनी की गारंटी!

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नरेश दीक्षित (संपादक समर विचार)

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी देश के गरीबों को न्यूनतम आमदनी गारंटी देने के ऐलान से कई राजनैतिक दलों ने उनकी आलोचना शुरू कर दी है। उसमें मायावती सबसे अधिक मुखर है। जबकि वास्तविकता यह है कि देश का दलित -शोषित समाज सबसे अधिक गरीबी रेखा के पास है उनको तो इसका सम॔थन करना चाहिए। लेकिन वोट की राजनीति के कारण उन्हे विरोध करना पड़ रहा है। कांग्रेस ने इस घोषणा में कहा है यदि उनकी सरकार केंद्र में पदा रूढ हुई तो प्रत्येक गरीब के खातों में सीधे रूपये डालें जायेंगे।
गरीबी हटाओ नारे की शुरुआत इंदिरा गाँधी द्वारा की गई थी जिसका राजनैतिक फायदा उन्हे मिला था। देश के विभिन्न राजनैतिक दलों द्वारा समय-समय पर विधानसभा चुनाव में न जाने कितनी चीजें मुफ्त में देने के वायदे करते रहे हैं। पहली बार लोक सभा चुनाव में कांग्रेस ने सीधे-सीधे देश के गरीब, मजदूर, किसानों को उनके खाते में पैसा डालने की बात की है और कहा है कि जैसे छत्तीसगढ़, राजस्थान, मध्यप्रदेश में किसानों की कज॔ मांफी का जो ऐलान किया गया था सरकार बनते ही किसानों के दो दिन में कर्ज़ मांफ कर दिए गए।
उसी तरह केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनते ही देश के गरीबों को न्यूनतम आमदनी गारंटी लागू कर दी जायेगी।
भारत में भुखमरी, बेरोजगारी की समस्या एक गंभीर समस्या बनी हुई है। गरीबों के हाथों में यदि सीधे पैसे आते हैं तो उन्हे कुछ जरूर राहत मिलेगी। कांग्रेस ने मनरेगा जैसी बहु लाभप्रद योजनाओं को देश में लागू कर गरीबों को राहत पहुँचाई थी। निश्चित ही कांग्रेस की न्यूनतम आय योजना लागू करने की घोषणा से देश के गरीबों को राहत मिलेगी।
एक रिपोर्ट के अनुसार 2017 में भारत में जितनी सम्पत्ति पैदा हुई उसका 73 प्रतिशत हिस्सा देश के एक फीसदी अमीरों के हाथ में चला गया जबकि देश के गरीब 67 करोड़ भारतीयों को सिर्फ एक फीसदी हिस्से पर संतोष करना पड़ा। राहुल गांधी ने देश के गरीबों के लिए यदि न्यूनतम आय लागू करने की, घोषणा सत्ता में आने पर कर रहे हैं तो इस पर हाय-तोबा क्यो? जब देश के कारपोरेट घरानों के करोड़ों रूपये मुफ्त में मांफ कर दिए जाते हैं, और नीरव मोदी, मेहुल, माल्या जैसे कारोबारी देश का अरबों रुपये लेकर फरार हो जाते है तब सत्ता के मठाधीश इस पर शौर नहीं मचाते।
लेकिन जब गरीबों की आर्थिक मदद् के लिए कोई दल गरीबों को सीधे धन उनके खातों में डालने की बात करता है तो सवाल उठाने शुरू कर दिए जाते हैं। जबकि गरीबों के कल्याण के लिए यदि न्यूनतम आय लागू होती है तो इसका सम॔थन करना चाहिए। राहुल गांधी की इस योजना के पहले अमेरिका, साऊदिया सहित कई देशों में गरीबों को सीधे धन मुहैया वहां की सरकारें कराती हैं।
भारत में इसका राजनैतिक दलों द्वारा विरोध करना साबित करता है कि देश की राजनैतिक पार्टियां गरीबों को और गरीब रखने में तुली हुई है। अब कांग्रेस को भी यह जनता के सामने स्पष्ट करना चाहिए कि कितनी न्यूनतम आय गरीबों के लिए काफी होगी? न्यूनतम आय के लिए गरीबों की पहचान कैसे होगी?, क्या न्यूनतम आय की गारंटी व्यवहारिक है? और न्यूनतम आय की गारंटी के लिए पैसा कहां से आएगा। देश के सामने बताना चाहिए।

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