बाराबंकी। केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही लोक कल्याणकारी योजनाओ मे किसान सम्मान योजना विभागीय अधिकारियों की कमाऊ खाऊ नीति के चलते अपने मूल उद्देश्य से भटक करके भ्रष्टाचार की दलदल में फंसती हुई दिखाई दे रही है।
बताते चलें कि केंद्र सरकार ने किसान सम्मान योजना लागू कर चुनाव से पहले मास्टर स्ट्रोक का खेल खेला था लेकिन सरकारी कर्मचारी अपनी हरकत से बाज नहीं आ रहे हैं वह पुराने ढर्रे से ही काम कर रहे हैं जिसका असर अब उल्टा पड़ता दिखाई दे रहा है किसानों को मिलने वाली पहली किस्त मे आधे से भी ज्यादा किसान वंचित हैं।
वहीं शीघ्र आचार संहिता लागू होने के आसार भी दिखाई दे रहे हैं इसलिए फिलहाल बचे किसानों को यह पैसा मिलने वाला नहीं है जिन किसानों को पैसा नहीं मिला है वह सरकारी सिस्टम और सरकार पर भेदभाव का आरोप लगा रहे हैं।
जबकि अधिकारी इसके लिए किसानों को ही उल्टा जिम्मेदार ठहरा रहे किसानों को इस बात को लेकर आक्रोश है कि चुनाव नजदीक होने के चलते किसानों को लग रहा है कि उनके हिस्से का पैसा अधिकारियों की गल्ती की वजह से ड्रॉप हो गया है उन्हें पैसा मिलेगा य नही मिलेगा इस बात को लेकर भी किसान आशंकित हैं।
राजस्व विभाग द्वारा फीड कराए जाने के बाद भी लगभग 30% किसानों को ही पहली किस्त मिल पाई है शेष सरकार की इस कल्याणकारी योजनाओं का लाभ लेने से वंचित दिखाई दे रहे हैं, जबकि सभी पात्रता वाले लघु और सीमांत किसान परिवारों को इसके दायरे में रखे जाने का लक्ष्य रखा गया था।
इस योजना के तहत 2 हेक्टेयर से कम भूमि वाले किसानों को इस योजना में संतृप्त किया जाना था। ये योजना किसानों की आय दुगनी करने की है इससे जिले व प्रदेश के गरीब किसानों को लाभ मिलेगा पैसा सीधे सरकार द्वारा किसानों के खाते में ट्रांसफर किया जाएगा। किसानों को मिस मैचिग के चलते भी लाभ नहीं मिल पाया है।किसान राजकुमार रंजीत सत्यप्रकाश दिनेश आदि बताते है कि फीडिग कराने के बावजूद भी पैसा अभी किसानो के खाते मे ऩही पहुचा है। जिससे किसानो मे आक्रोष व्याप्त है।
प्रधानमंत्री किसान योजना की घोषणा सरकार में विशुद्ध चुनावी गणित को ध्यान में रखकर की गई थी इस योजना का लाभ सरकार को चुनाव में मिले इसके लिए जरूरी था कि सरकारी मशीनरी कम से कम समय में सभी किसानों तक यह लाभ पहुंचाए। जिससे उन्हें अगली किस्त का लालच पैदा हो जाए लेकिन हुआ इसका उल्टा अब जिन किसानों को लाभ नहीं मिला है वे सरकार पर उंगली उठा रहे हैं जिन को लाभ मिला है उन्हीं को यह विश्वास नहीं है कि उन्हें अगली किस्त मिलेगी य नहीं। वहीं जनचर्चा है कि इस योजना मे किसानों को सम्मिलित किए जाने हेत फीडिंग के नाम पर राजस्व कर्मियों के द्वारा जमकर के धन उगाही भी की गई है किसानों ने अपना पैसा भी खर्च किया परंतु उन्हें लाभ मिलने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं
प्रधानमंत्री किसान योजना की घोषणा सरकार में विशुद्ध चुनावी गणित को ध्यान में रखकर की गई थी इस योजना का लाभ सरकार को चुनाव में मिले इसके लिए जरूरी था कि सरकारी मशीनरी कम से कम समय में सभी किसानों तक यह लाभ पहुंचाए। जिससे उन्हें अगली किस्त का लालच पैदा हो जाए लेकिन हुआ इसका उल्टा अब जिन किसानों को लाभ नहीं मिला है वे सरकार पर उंगली उठा रहे हैं जिन को लाभ मिला है उन्हीं को यह विश्वास नहीं है कि उन्हें अगली किस्त मिलेगी य नहीं। वहीं जनचर्चा है कि इस योजना मे किसानों को सम्मिलित किए जाने हेत फीडिंग के नाम पर राजस्व कर्मियों के द्वारा जमकर के धन उगाही भी की गई है किसानों ने अपना पैसा भी खर्च किया परंतु उन्हें लाभ मिलने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं।