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सियासी ज़मीन हथियाने को प्रियंका की गंगा यात्रा

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लखनऊ/भदोही। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी को विशेष रूप से उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल की राजनैतिक जिम्मेदारी लोकसभा चुनाव 2019 में दी गयी है। 2014 में मोदी मैजिक के चलते उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद खराब रहा। कहने को उन्हें पूर्वांचल का प्रभारी बनाया गया है, लेकिन उनके निशाने पर पूरा यूपी है। युवा नेतृत्व की वजह से कांग्रेस में उत्साह जगा है। सोमवार को पूर्वांचल की सियासी जमीन साधने के लिए वह जलयात्रा पर निकलेंगी।
प्रयागराज प्रशासन की तरफ से उन्हें अनुमति मिल गयी है। यूपी और देश की राजनीति में सभवतः यह पहला प्रयोग का होगा, जब प्रियंका गांधी गंगा की शरण में पहुंचकर पूर्वांचल साधने में जुटेंगी। हालांकि इसके पूर्व पीएम मोदी भी सीप्लेन का उपयोग कर चुके हैं। प्रियंका गांधी 18 मार्च को प्रयागराज में स्नान और पूजन के बाद अपनी यात्रा प्रारंभ करेंगी। इसके बाद वह गंगा यात्रा के जरिए भदोहीं पहुंचेंगी।
वह प्रयागराज, भदोही, मिर्जापुर, वाराणसी और चंदौली तक गंगा के जरिए अपनी राजनीति यात्रा करेंगी। उत्तर प्रदेश की चुनावी इतिहास में संभतः यह पहली बार हो रहा है जब किसी राजनैतिक दल और राजनेता की तरफ से जलमार्ग का रास्ता चुना गया है। यह अपने आप में गंगा के किनारे बसे गावों और वहां के लोगों के लिए कौतुहल का विषय होगा। प्रियंका देखने भीड़ भी उमड़ सकती हैं।

प्रियंका की बोट के ज़रिए वोट पर नज़र 

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के इस अनूठे निर्णय के पीछे भी नरम हिंदुत्व की राजनीति हो सकती है। गंगा यात्रा के जरिए वह भाजपा को कघटरे में खड़ी कर सकती हैं। इसे भाजपा के उग्र हिंदुत्व के तोड़ के रूप में भी देखा जा सकता है। गंगा हिन्दुओं के लिए बेहद पवित्र होने के साथ धर्म और आस्था से जुड़ी हैं। तीसरी सबसे बड़ी वजह मोदी सरकार की नमामि गंगे योजना भी है, जिसकी जमीनी हकीकत से भी वह रुबरु होंगी।
नमागि गंगे मोदी सरकारी प्राथमिक योजना में है। इस यात्रा से यह पता चल जाएगा कि गंगा को निर्मल, स्वच्छ बनाने में यह योजना कितना सफल हुई है। गंगा के किनारे बसे गांवों को पूरी तरह खुले शौच से मुक्त करने का सरकार ने वादा किया है, इस यात्रा के जरिए उन्हें इसकी जमींनी सच्चाई मालूम होगी। पीएम मोदी को 2014 के आम चुनाव में गंगा पुत्र कहा गया।
चुनाव खत्म होने के बाद जब वह अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी आए तो उन्होंने कहा मां गंगा ने मुझे बुलाया है। गंगा के जरिए वह हिंदुत्व को भी साधेंगी। इसके पूर्व गुजरात और दूसरे राज्य के चुनावों में राहुल गांधी के जनेऊ और मंदिर दर्शन पर सियासी तूफान मच चुका है। अब देखना है पूर्वांचल की सूखी सियासी जमींन में गंगा के जरिए प्रियंका गांधी कितनी खाद-पानी दे पाती हैं।

गंगा, गांव और किसान को साधने की नीति 

प्रियंका अपनी सियासी गंगा यात्रा के ज़रिए पूर्वांचल में गंगा, गांव और किसान को भी साधने की नीति पर निकली हैं। क्योंकि अपनी यात्रा में जहां वह पूर्वांल के ग्रामीण विकास और जमीनी कहीकत से रुबरु होंगी।
किसानों और ग्रामीण महिलाओं से मिल कर यूपी की योगी और मोदी सरकार पर निशाना साधने की रणनीति पर भी काम करेंगी। पूर्वांचल के गांवों की हालत क्या है, इसकी एक पड़ताल की वजह भी उनकी गंगा यात्रा हो सकती है। पूर्वांचल भाजपा का 2014 में गढ़ रहा अब वह उसे कितना साध पाती हैं यह वक्त बताएगा।

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