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33 वीं उन्नाव लोक सभा सीट पर त्रिकोंणीय मुकाबला, बाहरी बनाम स्थानीय मुद्दे ने जोर पकड़ा!

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नरेश दीक्षित (संपादक समर विचार)

आगामी 29 अप्रैल को होने वाले चौथे चरण के मतदान की तैयारियां जिला प्रशासन ने लगभग पूण॔ कर ली है। अब सिर्फ जनपद में बनाए गए मतदेय स्थलो पर चुनावी पार्टियाँ की रवानगी शेष रह गई है। लखनऊ मण्डल की 33 वीं उन्नाव लोक सभा सबसे बड़ी जनसंख्या वाला जनपद है।
वष॔ 2011की जनगणना के अनुसार उन्नाव जनपद की कुल जनसंख्या 31 लाख 8 हजार थी इसमें 82,9 प्रतिशत ग्रामीण और 17.1 प्रतिशत शहरी आवादी है। मतदाताओं की संख्या 2171025 लाख है जिसमें 55.18 प्रतिशत पुरष मतदाता है तथा 44.81 प्रतिशत महिला मतदाता है।
जातीय आधार पर 7 लाख पिछड़ा वग॔, 2 लाख 15 हजार मुस्लिम, 5 लाख 50 हजार अनुसूचित जनजाति, 5 लाख 45 हजार सव॔ण मतदाता है। 1952 के प्रथम संसदीय चुनाव पं विश्वभर दयाल त्रिपाठी से लेकर 2009 तक के चुनाव में उन्नाव जनपद के ही मूल निवासी चुनाव लड़ते रहे और विभिन्न दलों से जीतते रहे।
जिसमें एक वार मनोहर लाल भी जो कानपुर के थे चुनाव जीत चुके हैं चूँकि वह कानपुर के होने के बाद भी उन्नाव में सक्रीय राजनीति में थे इस लिए वह सिर्फ नाम के बाहरी थे लेकिन काय॔ क्षेत्र उनका उन्नाव ही रहा। उन्नाव का बांगरमऊ नगर सबसे अधिक भाग्य शाली रहा जहाँ के विश्वभर दयाल त्रिपाठी, जियाउलर॔हमान अंसारी, चौधरी राघवेन्द्र सिंह संसद की शोभा बढ़ा चुके है अंसारी केन्द्रीय मंत्री भी रहे थे।
वष॔ 2014 में लोक सभा चुनाव में मोदी फैक्टर के चलते देश की जनता को जो ख्वाब मोदी ने दिखाये थे कि राम मंदिर निर्माण, कश्मीर समस्या का समाधान, आतंकवाद को समाप्त करने, किसानों की आमदनी दुगनी करने, बेरोजगारों को रोजगार, महिलाओं की सुरक्षा, काले धन को विदेश से वापस लाने, भ्रष्टाचारियों को जेल में डालने, प्रत्येक भारतीय के खाते में 15-15 लाख रुपये डालने और न जाने कितने वादे 2014 के भाजपा के संकल्प पत्र में किये गये थे।
मोदी तथा भाजपा के संकल्प पत्र के झांसे में आकर प्रदेश की जनता ने लगभग सभी दलों का सफाया करते हुए प्रदेश में भारी सीटें जिताकर भाजपा की झोली में डाल दी थी।उसी लहर में उन्नाव जनपद से दूर दूर का कोई रिस्ता न होने के बावजूद एटा के बाबा साक्षी महाराज के रूप में चर्चित को स्थानीय भाजपा कार्यकर्ताओं को दरकिनार करते हुए प्रत्याशी घोषित कर दिया और यहाँ की जनता ने उसके चरित्र तथा पूर्व में किये गये जघन्य अपराधों को सोचे बिना मोदी लहर तथा जनता से किए गए झूठे वादे की बदौलत तीन लाख मतों से जिता दिया।
लेकिन उन्नाव की जनता का भ्रम तब टूटने लगा जब मोदी और भाजपा के संकल्प पत्र में किये गये वायदों को भुला कर देश की जनता को बर्बाद करने के लिए नोटबंदी थोप कर देश के कारपोरेट घरानों को फायदा पहुंचाया तथा बाद में जीएसटी लगाकर देश के छोटे कारोबारियों रोजी रोटी छीन ली गई।
उन्नाव के सांसद साक्षी महाराज पांच साल में एक भी ऐसा विकास का काय॔ नहीं किया है जो उन्नाव की जनता के लिए यादगार होता। उन्नाव के औद्योगिक विकास की आधार शिला कई दशक पूर्व पं उमा शंकर दीक्षित ने रखी थी जो मूल रूप से ग्राम ऊगू के निवासी थे
तथा भारत सरकार में कैबिनेट मंत्री थे तभी कमला भवन में तत्कालीन भारत सरकार के भारी उद्योग मंत्री टी ए पई उन्नाव आकर सोनिक इंडिसटियल स्टेट की स्थापना हुई थी और द॔जनो फैक्ट्रियों की शुरुआत की गई थी लेकिन आज हालत यह है अधिकांश फैक्ट्रियों बन्द हो चुकी हैं जिससे बेरोजगारी बढी है।
इसका मुख्य कारण यहाँ से चुने गए जन प्रतिनिधियों की निष्क्रियता रही है। अब इस जनपद को जातीय आधार पर बांट कर राजनैतिक दल अपना उल्लू सीधा करते हैं। उन्नाव की आम जनता की सबसे बड़ी समस्या प्रदूषित जल, स्वास्थ और नवयुवक, युवतियों की बरोगारी है यह दो बड़े नगरों लखनऊ-कानपुर के बीच हमेशा विकास के नाम पर पिसता रहा है।
बालामऊ से कानपुर तक चलने वाली एक जोड़ा ट्रेन के सिवा कोई दुसरी ट्रेन यहाँ से चुनें गए सांसद चलवा न सके जो इस क्षेत्र की सबसे बड़ी समस्या है। गंज मुरादाबाद से गंगा घाट तक लगभग सभी स्टेशनों पर प्लेट फार्म नहीं है जनता ट्रेन पर चढ़ने-उतरने के समय चुटहिल हुआ करती है लेकिन कोई ध्यान नहीं देता।
व॔तमान सांसद साक्षी महाराज दुसरो की लाई हुई विकास योजनाओं पर अपना दावा करने में पीछे नहीं रहते जैसे बांगरमऊ की तहसील, परिवाहन बस स्टेशन, बांगरमऊ-संडीला रोड़ का दोहरी करण, बांगरमऊ में रजिस्ट्रार काय॔यालय जैसे कई योजनाएं हाई कोर्ट के वकील एवं समाज सेवी फारूख अहमद के अथक प्रयासों से हुआ है।
उन्नाव की जनता को पांच साल तक सिर्फ धोखा दिया गया है और विकास के नाम पर सिर्फ हिंदुत्व और राम मंदिर बात करते रहे। वैसे उन्नाव संसदीय सीट को अपनी-अपनी झोली में डालने के लिए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह,कांग्रेस के राहुल गांधी,प्रियंका गांधी, मुख्य मंत्री योगी सहित कई नेता उन्नाव की धूल फांक चुके हैं लेकिन अब तस्वीर धीरे-धीरे साफ हो गई है।
यहां अब असली मुकाबला गठबंधन प्रत्याशी अरूण शंकर शुक्ला जो लखनऊ निवासी हैं और साक्षी महाराज जो एटा निवासी हैं का स्थानीय निवासी अन्नू टंडन के साथ त्रिकोणीय मुकाबला है यदि बाहरी बनाम स्थानीय का मुद्दा बना रहा तो कांग्रेस प्रत्याशी श्री मती अन्नू टंडन का पलड़ा भारी प्रतीत होता है चूँकि टंडन एक समाज सेवी महिला है
जो जनपद में हमेशा सक्रीय रहती है और उन्नाव की जनता को हर प्रकार की मदद किया करती है लेकिन असली फैसला अब यहाँ की जनता के हाथ में है जिसका फैसला 23 मई के बाद आयेगा कि यहां का मतदाता स्थानीय को चुनती है या बाहरी प्रत्याशी को?

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